|| माता कैकसी कौन थी || इतिहास हिंदू धर्म में कई महान ऋषि मुनियों के बारे में बताया गया है। ऐसे ही एक महान ऋषि थे पुलस्त्य। इन्हें ब्रह्माजी के मानस पुत्र के रूप में जाना जाता है। पुलस्त्य के पुत्र थे विश्रवा ऋषि। विश्रवा भी अपने पिता के समान धर्मात्मा थे। इनकी माता का नाम हविर्भुवा था। रामायण के प्रमुख पात्र रावण विश्रवा ऋषि के ही पुत्र थे। विश्रवा ऋषि का विवाह इड़विड़ा से हुआ था, जिससे उन्हें वैश्रवण नाम का पुत्र हुआ। वैश्रवण का ही एक नाम कुबेर है। विश्रवा ऋषि की एक अन्य पत्नी थी कैकसी, जो कि राक्षस कुल की थी। कैकसी के गर्भ से ही रावण, कुंभकर्ण और विभीषण का जन्म हुआ। कैकसी को निकषा और केशिनी के नाम से भी जाना जाता है। 1)रामायण में कैकसी कौन थी,किस तरह उसका विवाह महर्षि विश्रवा से हुआ था ? रावण की माँ कैकसी शक्तिशाली राक्षस सुमाली और उसकी पत्नी केतुमती की बेटी थी, जिन्होंने पाताल लोक में शरण ली थी। असुर जन्म से ही मायावी होते है। रावण की माता कैकसी को रावण के नाना यानी उनके पिता ने यह विवाह करने के लिए कहा था ताकि ब्रह्मण और राक्षस के मिलन से ऐसा शक्तिशाली योध्या जन्म ले जो देवताओ को हराकर राक्षस कीर्ति को आगे बढ़ा सके | दोनों के मिलन के कारण रावण में दैत्य प्रकृति के साथ ज्ञान का भंडार भी था | इसलिए कैकसी ने एक सुंदरी का रूप धारण किया तथा रावण के पिता को मोहित किया। जिसके कारण ये विवाह हुआ। ताकि इस तरह के मिलन से पैदा होने वाले बच्चे ब्रह्मा के वंशज होने के कारण उसके समान ही शक्तिशाली हों और उस स्थिति में राक्षसों के पास लंका को जीतने का बराबर मौका होगा। 2)रामायण में रावण की माता का उल्लेख बहुत कम मिलता है ? रामायण भले ही राम की यात्रा हो, लेकिन उत्तर कांड में रावण के जीवन का विवरण मिलता है। हालाँकि, इस में केवल कुबेर, इंद्र, यम पर रावण की विजय, बाली आदि के साथ उसके युद्ध और सबसे बढ़कर वेदवती और रंभा जैसी महिलाओं के साथ उसके द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के कारण उस पर लगे श्रापों के पहलुओं का ही विवरण है।उत्तर कांड में कैकसी, उसकी माँ या मंदोदरी, उसकी साथी के बारे में बहुत कम उल्लेख है। यह रावण के मर्दाना कारनामों के बारे में है जहाँ युद्धों का उल्लेख सभी हथियारों के विवरण के साथ किया गया है, एक ऐसी दुनिया जहाँ महिलाएँ पुरुषों के हित में काम किए बिना शायद ही कभी रहती हों। 3)कैकसी ने सभी माताओं की तरह अपना मातृत्व रावण के प्रति कैसे निभाया था ? मातृत्व की बात करें तो रामायण के संदर्भ में, महाकाव्य में सभी माताएँ अपने बेटों के सिंहासन पर दावा सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक क्षेत्र तक फैले संघर्षों को स्वीकार करती है। अयोध्या के राजा दशरथ की तीसरी पत्नी कैकेयी, अपने बेटे भरत को वंश की विरासत सौंपने की महत्वाकांक्षा से प्रेरित है।यहाँ तक कि राजा बाली की पत्नी तारा की भी प्राथमिक रुचि अपने बेटे अंगद को राजगद्दी वापस दिलाने में थी। इसी तरह, एक उदाहरण में पाते है कि कैकसी ने रावण में कुबेर के प्रति ईर्ष्या पैदा की और उसकी तुलना उसके सौतेले भाई से की और रावण ने भावनात्मक पीड़ा से भरकर कुबेर के बराबर या उससे बेहतर होने की कसम खाई ताकि वह लंका नगरी को जीत सके। 4)कैकसी को पुत्र रूप में रावण की प्राप्ति क्यों हुई थी ? कैकसी जब विश्रवा ऋषि के पास आई तब तेज आंधी और बारिश होने लगी। इस दौरान कैकसी विश्रवा ऋषि को रिझाने की कोशिश करने लगी। कैकसी ने ऋषि के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। विश्रवा जी के बार बार मना करने के बावजूद वह नहीं मानी। आखिरकार विश्रवा ऋषि ने कैकसी के विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्होंने कैकसी को यह भी बताया कि उनका पहला पुत्र दैत्य प्रवृत्ति का होगा, क्योंकि वह अशुभ समय में उनके पास आई है। यह सुनकर कैकसी परेशान हो उठीं, उसने कहा ऋषि मुझ पर कुछ तो कृपा करें। इस पर विश्रवा ऋषि ने कहा आपका तीसरा पुत्र मुझ जैसा धर्मात्मा होगा।कई दिनों बाद कैकसी ने एक बालक को जन्म दिया, जिसका रंग काला और आकार दूसरे शिशुओं की तुलना में बड़ा था। इस बालक का नाम विश्रवा जी ने दशग्रीव रखा। यही दशग्रीव आगे चलकर रावण कहलाया, जिसका वध प्रभु श्री राम के हाथों हुआ था। रावण के बाद कैकसी के गर्भ से कुंभकरण ने जन्म लिया। अंत में कैकसी के तीसरे पुत्र विभीषण ने जन्म लिया, जो कि आचरण से पूरी तरह अपने पिता पर गया। 5)कैकसी के कितने पुत्र पुत्रिया थी ? कैकसी के 6 पुत्र थे जिनके नाम ये हैं- कुबेर, विभीषण, कुम्भकरण, अहिरावण, खर और दूषण। खर, दूषण, अहिरावण और कुबेर कैकसी के सगे पुत्र नहीं थे ।कैकसी की दो पुत्रिया थीं। एक शूर्पणखा और दूसरी कुम्भिनी थी जोकि मथुरा के राजा मधु राक्षस की पत्नी थी और राक्षस लवणासुर की माँ थीं। कुबेर को बेदखल कर रावण के लंका में जम जाने के बाद रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा का विवाह कालका के पुत्र दानवराज विद्युतजिह्वा के साथ कर दिया। 6)माता पार्वती ने क्यों दिया था महर्षि विश्रवा और कैकसी को श्राप ? लंका का निर्माण भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए करवाया था। जिसका गृह प्रवेश कराने के लिए ऋषि विश्रवा को निमंत्रण दिया गया। गृह प्रवेश में अपने पति के साथ कैकसी भी गई थी। यज्ञ संपन्न होने के बाद जब भगवान शिव ने विश्रवा जी से दान में कुछ मांगने के लिए कहा तो चालाक राक्षस कन्या कैकसी ने विश्रवा को लंका मांगने के लिए कहा। इससे क्रोधित होकर माता पार्वती ने ऋषि विश्रवा व उनकी पत्नी कैकसी को श्राप देते हुए कहा कि आज तुमने मेरे सपने की जिस सोने की लंका को मांगा है वही लंका एक दिन तुम्हारे वंश का नाश कर देगी। जिसके बाद ने विश्रवा जी ने लंका को अपने बेटे कुबेर को सौंप दिया। जिसे बाद रावण ने अपने ही भाई से इसे छीन लिया था।
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